शनिवार, 16 जनवरी 2010

कुछ बेधड़क बातें अपने मन की


लार्ड मैकाले ने ०२ फरवरी १८३५ को ब्रिटिश संसद में कहा था --

मैंने भारत में जमकर भ्रमण किया और इस दौरान एक भी आदमी एसा नहीं मिला जो जो भिखारी या चोर हो !वहाँ के लोगों का नैतिक बल और कार्यक्षमता इतनी जबरदस्त है की मुझे नहीं लगता है की हम उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट -भ्रष्ट कर सकेंगे ! हम उनकी पुराणी शिक्षा व्यवस्था को समाप्त कर नयी इंग्लिश व्यवस्था लागू करें ,जो यह साबित करें की हम उनसे महानतम है !इससे वे अपना स्वाभिमान और सभ्यता खो बैठेंगे !तब हम उस देश को पूरी तरह गुलाम बना सकेंगे !

यह वही मैकाले थे जिन्होनें १८३५ में नयी शिक्षा व्यवस्था लागू की !

६२ साल बाद भी आज अंग्रेज हुक्मरानों की तरह नहीं याचक की तरह आता है !कोई फिल्मकार इस अद्भुत दास्तान को क्यों नहीं फिल्माता ???? हमारी गरीबी को ही क्यों हर बार बेची जाती है !!चन्द चांदी के सिक्कों की खातिर बिकने वाले निर्माता और अभिनेता क्या इस विषय पर भी फिल्म बनायेंगे ?यह सवाल हमारे मन में इस समय तो मथ ही रहा है !

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