शनिवार, 16 जनवरी 2010

यह धरती है बलिदान की



मातृभू की रक्षा के हित ,
चिन्ता न कर अपने प्राण की !
नमन कर लो इस माटी को ,
यह धरती है बलिदान की !!

आज पड़ोसी छदम भेष से ,
चाल चले शैतान की !
गिरगिट जैसा रंग बदलता ,
धत्ता बता ईमान की !
जैसे को तैसा ही उत्तर ,
दे दो इस प्रतिदान की !
वीर सपूतों पुनः जागो ,
यह धरती है बलिदान की !!

कर्म भूमि है ,धर्म भूमि है ,
यह जन्म भूमि भगवान् की ,
राणा ,शिवा ,हकीकत जैसे ,
वीरों के स्वाभिमान की !
उन वीरों को कोटि नमन है ,
जय हो उनकी शान की ,
प्राणों से भी प्यारी हमको
यह धरती है बलिदान की !!

अपना आपा भूल गए,
झेल सारे शूल गए !
कथा अदभुत है,
हर देशभक्त महान की
यह धरती है बलिदान की !!


इतिहासों में अंकित गाथा ,
भारत देश महान की !
वीर शिवा ,राणा सांगा के
पौरुष के अभिमान की !

सती पदमिनी के जौहर की ,
वीरों के आह्वान की !
शीश झुका कर नमन करो ,
यह धरती है बलिदान की !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें