रविवार, 17 जनवरी 2010

इंडिया बनाम भारत


बढ़ रहा शहरीकरण
गावों में है बेकारीकरण
आधुनिकता के नाम पर संस्कृति का पतन
गरीबी के कारण नंगा है बदन
सब कुछ बाजार
हम सब परिवार
कुत्ते से सावधान
अतिथि देवो भवःयही स्वाभिमान
अन्न है पर भूख नहीं
भूखे हैं पर अन्न नहीं
जो कमाएगा वही खायेगा
एक कमाएंगे लेकिन मिलजुलकर खायेंगे
नंगेपन की कमाई
कमाई न के कारण नंगापन
चाँद छूने में घमंड पर माँ -बाप के पैर छूने में होता है शरम
माँ बाप ही भगवान् यही मेरा धरम
स्त्री -भोग्या
स्त्री -पूज्या
एक दुसरे से आगे बढ़ने की होड़
समरस सुखी जीवन हर ओर
अनैतिक यौन सम्बन्ध
नैतिक दाम्पत्य जीवन
सर्वोपरि -स्त्री भक्ति
सर्वोपरि - मातृशक्ति
देश के प्रति गद्दारी में नहीं शरम
देश हित में जीवन का सर्वस्व समर्पण
दिनभर आराम फिर भी मालामाल
दिन -रात परेशान फिर भी कंगाल
अठारह कमरे तीन जन
अठारह जन खुला गगन
यौन शिक्षा का चित्र
शहीदों का चरित्र
नारी -मस्त कैलेण्डर
नारी -अनुपम सुन्दर
असत्य के राह पर चलने वालों की है खुशहाली
सत्य की राह पर चलने वालों की बदहाली
देख दृश्य गूंजे तेरी ठहाके
पीड़ित -शोषित को देख मन मेरा रोये -रोये
हम उस देश के वासी हैं जहाँ शिल्पा शेट्ठी रहती है
हम उस देश के वासी हैं जहां गंगा बहती है
पत्नी -एक जनम में सात का हाथ
पत्नी - सात जनम तक एक का साथ
माँ -बाप को साथ रखते हैं
माँ -बाप के साथ रहते हैं
चकाचौंध हरदम
शांत -स्वच्छ जीवन
बेटी को कैटरीना कैफ बनाने में मस्त
बेटी की शादी की चिंता से पिता की हालत है पस्त
अंग्रेज का औलाद बनने का घमंड
संस्कृति का करते संरक्षण
अस्त -व्यस्त जीवन
परिश्रम करते मस्त रहते हरदम
बिस्तर है पर नींद नहीं
टूटी खाट पर चैन की नींद
एक बदन पर दस कपडे
एक बदन पर फटे -चित्तरे
फास्ट -फ़ूड का प्रचलन
थाली में पडा है सूखा अन्न
इतनी तरक्की तो इंडिया ने कर ही ली है ...
अब भूख ,भय ,भ्रष्टाचार ,गरीबी को मिटाने की बात नहीं करता
अब बजता है ...
तोहर लहगा उठा देब रिमोट से ...................................!!!!

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