बुधवार, 6 जनवरी 2010

न्याय


धृतराष्ट्र तो नेत्रहीन थे ,परन्तु गांधारी ने आँखों पर पट्टी बाँध रक्खी थी !क़ानून की देवी भी गांधारी के सामान ही है !गांधारी चाहती तो देख सकती थी ,परन्तु उसने एसा नहीं किया !भीश्मपितामः,गुरु द्रोणाचार्य ,गुरु कृपाचार्य जैसे मनस्वी और तपस्वी महापुरुष सिंहासन से बंध जाए तो इन परिस्थितियों में दुर्योधन और दुशासन ही पैदा होने थे !जब -जब न्याय ने अपनी आँखों पर पट्टी बांधी है और समर्थ पुरुषों ने कर्तव्य न निभाकर मौन धारण किया है ,तब -तब महाभारत ही हुआ है !

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