बुधवार, 20 जनवरी 2010

सफ़र हमारे जीवन का

यह यात्रा है ........
बूँद से मोती
पराधीनता से स्वाधीनता
कृतघ्न से कृतज्ञं
स्वार्थ से परमार्थ
भोग से योग
विद्या से विवेक
असत्य से सत्य
ज्ञान से मुक्ति
सत्संग से समाधि
हंस से परमहंस
मृण्मय से चिन्मय
जागने से जागरण तक की .........!

यह हमारे और आपके ऊपर निर्भर है की हम किस राह चलना चाहेंगे !

मंगलवार, 19 जनवरी 2010

तिब्बत चीन के साथ या भारत के हाथ


भारत -चीन सीमा विवाद के मूल कारणों में तिब्बत है !अतः हमारे लिए आवश्यक है की हम तिब्बत की सच्चाइयों को जान लें !

भारत के नजरिये से देखें तो लगभग पिछली दो शताब्दियों से तिब्बत के साथ उसके सम्बन्ध बहुत ही आत्मिक रहे हैं !महाभारत में भी इन दोनों के संबंधो का जिक्र मिलता है !हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ कैलाश मानसरोवर इसी तिब्बत के अन्दर है जो आज चीनी कब्जे में है !इतिहास इस बात का गवाह है की छठी और सातवीं शताब्दी में चीनी और तिब्बतियों के बीच कई बार खूनी संघर्ष हुए हैं !आज भारत तिब्बतियों के लिए स्वर्ग के समान है !हर कोई जानता है की दलाई लामा तिब्बत को अपना घर मानते हैं और १९५९ से ही तिब्बत सरकार को धर्मशाला से ही चला रहे हैं !लेकिन कम ही लोग जानते हैं की यह पहले दलाई लामा नहीं है जो भारत में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं !बल्कि इसके पहले उनके पूर्ववर्ती और तेरहवें दलाई लामा उबेन गयात्सो १९०९ और १९१२ के मध्य चीनी आक्रान्ताओं के कारण भारत आये थे !आज लाखों तिब्बती शरणार्थी भारत में रह रहे हैं !इस तरह से तिब्बत दोनों देश के मध्य विवाद का एक प्रमुख कारण बना हुआ है !
चीन के नजरिये से देखें तो वह एतिहासिक कारणों की दुहाई देते हुए कई क्षेत्रों पर अपना अधिकार जताने से बाज नहीं आ रहा है !अंग्रेजों द्वारा चीन और भारत के बीच मैकमोहन विभाजक रेखा खींचे जाने के बाद उत्तरी तिब्बत का कुछ हिस्सा और अरुणाचल प्रदेश का तवांग भारत की सीमा में आ गए !१९१४ में ब्रिटेन ,चीन और तिब्बत का शिमला समझौता नाम से एक त्रिपक्षीय सम्मलेन हुआ !यह बैठक चीन और तिब्बत की स्थितियों के सन्दर्भ में हुई थी ,लेकिन यह बैठक तब बेनतीजा हो गयी ,जब ब्रिटेन ने तिब्बत को आतंरिक और बाह्य दो भागों में बांटने की बात की !चीन ने इस बैठक से अपनी भागीदारी वापस ले ली और उसकी अनुपस्तिथि में ही ब्रिटेन ने तिब्बत के साथ एक सेटेलमेंट कर दिया !जिसके तहत तिब्बत का लगभग 9000 स्क्वायर मीटर क्षेत्र और तवांग क्षेत्र भारत का हिस्सा बन गए !इस तरह मैकमोहन रेखा नाम से एक नई सीमा रेखा बन गयी !तिब्बत ने तो इस समझोते के लिए हाँमी भर दी ,लेकिन चीन इसके विरोध में रहा !
यही विरोध आज तक जारी रहा ,जिसके चलते तवांग पर चीन अपना अधिकार जताता है !जबकि भारत का मानना है की निःसंदेह तवांग भारत का अंग है ,इसीलिये इसे चीन को देने का सवाल ही नहीं उठता !दोनों ही देश इस बात को जानते है की जो भी विवाद है ,वह केवल सीमा को लेकर है ,इसके वाबजूद दोनों ही देशो के कट्टरपंथी लोग रह- रहकर एसी बयानबाजी करते रहते हैं ,जिससे यह मसला और भी जटिल हो जाता है !सीमा विवाद के लिए हुई वार्ता के तुरंत बाद ही चीनी स्कालर जहाँ लुइ द्वारा लिखा गया लेख इस आशंका को और भी पुष्ट करता है !इस लेख में उन्होंने लिखा है की किस तरह से उल्फा और तमिलनाडु ,बंगाल तथा कश्मीर में सक्रीय दुसरे आतंकी संगठनो को समर्थन देकर भारत को तीस स्वतंत्र राज्यों में बांटा जा सकता है!
नेपाल में माओवादी उभार के चलते चीन वहाँ सक्रीय हो रहा है ,जो भारत के लिए परेशानी का सबब है !अमेरिका द्वारा लम्बे समय से खेली जा रही कूटनीति भी दोनों देशों के संबंधों में कटुता का कारण है !अमेरिका चीन को खुद खतरे के तौर पर देख रहा है ,इसीलिय वह भारत को चीन के खिलाफ उकसाता रहता है ताकि तेजी से उभर रहे इस खतरे पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सके !एसे कारण ही झान लुइ जैसे कट्टरपंथियों को एसे वक्तव्य देने के लिए उकसाते रहते हैं जो एशिया के इन दो बड़े पड़ोसी राष्ट्र के संबंधों के लिए ख़तरा बनते हैं !
अमेरिका चीन के वैश्विक उभर को समझ रहा है ,इसीलिय वह चीन के खिलाफ जायगा ही नहीं !जबकि हम अमेरिकी बहकावे में चीन को अपना दुश्मन मान रहे हैं !अमेरिका से दोस्ती बनी रहे ये तो ठीक है ,लेकिन दोस्ती की कीमत पर हम अपने दुश्मनों में इजाफा करें ,यह कहीं से उचित नहीं है !

दास्तान अगस्त क्रांति में अव्वल बिहार की


शहीदों के लहू की दीप्ति ने दिनमान रखा है ,
शहीदों ने समूचे राष्ट्र का सम्मान रखा है !
किसी भी तरह उनका ऋण चुकाया नहीं जा सकता ,
जिन्होनें जान दे ज़िंदा ये हिन्दुस्तान रखा है !!

आजादी के जंगे मैदान में अव्वल रहा बिहार के हुतात्माओं ने दी थी गोरों को जबरदस्त टक्कर !भले सीने पर गोली खाई ,अमानवीय अत्याचार सहे पर अंग्रेजों के आगे न रुके न झुके !गाँधी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में लोकतंत्र की जननी वैशाली के दर्जनों नौजवान जंग -ए-आजादी में कूद पड़े थे !बैकुंठ शुक्ल ने अपने प्राणों की आहुति दी तो योगेन्द्र शुक्ल ,पंडित जयनंदन झा ,दीपनारायण सिंह ,बसावन सिंह ,रामेश्वर प्रसाद सिंह ,अक्षयवट राय ,वीरचंद पटेल एवं सुनीति देवी ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया !सासाराम में सरकारी भवनों पर ११ अगस्त १९४२ को तिरंगा फहराते महंगू राम एवं जगरनाथ राम को गोली मार दी गयी !कुपा में जयराम सिंह ने एक फौजी को धराशायी कर रायफल छीनने की कोशिश की तो सनिकों ने उन्हें गोली मार दी !गांधी की कर्मभूमि चंपारण में शायद ही कोई इलाका हो ,जो वतनपरस्तों के त्याग और बलिदान की गवाही न देता हो !१० से २४ अगस्त के बीच अंग्रेजों की गोली से द्वारिका कहार (श्रीपुर ), लखन दुसाध (बसंतपुर ),गणेश राय (रामगढ़वा), बुधेल राम (मेहसी ), रामावतार साह (मेहसी ),शेख मो०हनीफ (चैनपुर ),यदु रावत (आदापुर ), हरी ठाकुर (चमही), जगदेश राय (श्रीपुर ),हरिहर हजाम व फौजदार अहीर शहीद हो गए, पर डरे नहीं गोरों की गोली से !समस्तीपुर में दसवीं के छात्र हरिवंश तरूण ,राधे जी ,शिवसागर ,रामानंद ,तपेश्वर ने अंग्रेजों से टक्कर ली !इस आन्दोलन में राम इकबाल सिंह के उत्पात से बौखलाए गोरों ने उनकी टांगे तोड़ दी !नित्यानंद सिंह खगड़िया के समीप रेल पटरी उखारते शहीद हुए !नागपुर जेल में अंग्रेजों के अमानवीय अत्याचार के कारण पालीगंज के १८ वर्षीय हरदेव के मौत की खबर पाकर तस्वीर देख जीवन गुजार दी उनकी बेवा ने ! सीवान में तीन किशोरों झगरू साहू ,बच्चन प्रसाद और छठू गिरी की शहादत से धधका था आन्दोलन !सोनपुर में गोली की दर्द पर भारी पडी भारत माता की जय !सत्यनारायण चटर्जी ने पूरी जवानी जेल में गुजार दी !सारणके बनियापुर में क्रांति यज्ञं में छ : वर्षीय पुत्र की आहुति दी थी शिवरतन ने !बक्सर में पुलिस की गोली से कपिलमुनि कमकर,गोपाल कमकर ,रामदास बढई व रामदास सोनार शहीद हो गए !अब्दुल्ला भठियारा के घर में घुसकर अंग्रेजों ने उनके बहन की अस्मत लूटी और दूधमुहें बच्चे को मार डाला !भरे बाजार में स्वराजी यमुना प्रसाद की छाती पर चढ़कर ने गोली मार दी !
अंत में इन शहीदों की शहादत को चन्द पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ .............
आओं झुककर सलाम करें उन्हें ,
जिनकी जिन्दगी में ये मुकाम आता है !
कितने खुशनसीब हैं वे लोग
जिनका लहू इस वतन के काम आता है !!
मिट जाते जो मातृभूमि पर ,बनते वो इतिहास है !मस्तक धूल चढाने उनकी झुक जाते आकाश हैं !!

सोमवार, 18 जनवरी 2010

अमर शहीदों के नाम


अमर बलिदानों की बलिवेदी पर ,

पुष्प चढाने आया हूँ !

कीर्ति करे जग तेरा ,

मैं शीश झुकाने आया हूँ !!


तेरे शौर्य की गाथाएं ,

मेरे रक्त का चन्दन !

सुरभित किया है जग में ,

माँ पर तेरा अर्पण !!


कठिन तपस्या त्याग तुम्हारा ,

मैं तो पाने आया हूँ !

तेरे जैसा बनूँ मैं भी ,

मैं शीश झुकाने आया हूँ !!


हे भारत के अमर शहीदों ,

तेरे पदचिन्हों पर चलने आया हूँ !

देशहित में समर्पण हेतु

मैं संकल्प लेने आया हूँ !!

याद आती है हमें


याद आती है हमें ,कुछ भूली बिसरी बात ,

कुछ समय पहले की अपने प्यारे यारों की साथ !

वो हमारा प्यार से मिलना ,गले लगाना

पल भर में ही रूठ जाना और फिर मनाना

भूल कैसे सकता हूँ मैं ,वो सुनहरे दिन

मस्ती में जब मस्त रहता पहर -पहर भर दिन

भूला हूँ तो कई बात पर भूल नहीं मैं सकता ,

अपन -अपनों का स्नेह प्रेम ,हरगिज भुला नहीं सकता

चाहता हूँ एक बार फिर से मिल जाए मेरा बचपन मुझे ,

बिछड़े हुए खोये मिल जाए मेरे साथी मुझे !!

संग्राम जिन्दगी है ,लड़ना उसे पडेगा


संग्राम जिन्दगी है ,लड़ना उसे पडेगा !
जो लड़ नहीं सकेगा ,आगे नहीं बढेगा !!


इतिहास कुछ नहीं है ,संघर्ष की कहानी
राना ,शिवा ,भगत सिंह ,झांसी की वीर रानी
कोई भी कायरों का इतिहास क्यों पढ़ेगा !!०१!!


आओ लड़े स्वयं के ,कलुसों से कलमसों से
भोगों से वासना से ,रोगों के राक्षसों से
कुंदन नहीं बनेगा ,जो आग पर न चलेगा !!०२!!


घेरा समाज को है ,कुंठा -कुरीतियों ने
व्यसनों ने ,रुढियों ने ,निर्मय अनीतियों ने
इनकी चुनौतियों से ,है कौन जो लडेगा !!०३!!


चिंतन -चरित्र में अब ,विकृति बढी हुई है
चहुँ और कौरवों की ,सेना खडी हुई है
क्या पार्थ उन क्षणों को ,मोह में पडेगा !!०४!!


संग्राम जिन्दगी है ,लड़ना उसे पडेगा !
जो लड़ नहीं सकेगा आगे नहीं बढेगा !!

रविवार, 17 जनवरी 2010

अलकायदा का फैलता वैश्विक संजाल


पाकिस्तान तथा अफगानिस्तान से सटे कबीलाई इलाके में पल -बढ़ रहे आतंकवाद से सिर्फ हमारी सुरक्षा ही दांव पर नहीं लगी है !वहाँ के ट्रेनिंग कम्पों से निकले मौत के सौदागरों का दंश कई देश झेल रहे हैं !दरअसल ,पूरी दुनिया में आतंकियों की सप्लाई करने का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है हमारा यह पड़ोसी मुल्क !भारत से लेकर सूडान तक और अफगानिस्तान से लेकर लेबनान तक हर जगह के आतंकियों पर पकिस्तान का ही ठप्पा लगा है !आतंकी चाहे सउदी अरब के हों या ब्रिटेन के ,उन्हें इंसान से हैवान बनाने का काम पकिस्तान में हो रहा है और इसे अंजाम दे रहा है अलकायदा !लश्कर -ए-तैयबा ,हूजी ,हमास ,और हिजबुल्ला जैसे आतंकी संगठन यहीं से खाद पानी ग्रहण कर रहें हैं !अलकायदा के फैले वैश्विक संजाल पर डालते हैं एक सरसरी निगाह ............

भारत

अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित हमारा देश ही हुआ है !२००० से २००९ ,नौ साल !जिहाद और दारुल इस्लाम के नाम पर उन्मादियों की गोलियों और बमों के शिकार हुए हजारों मासूम देशवासी !इन्हें चीखती -चिल्लाती ,चूरियां तोड़ती ,करुण चीत्कार करती महिलाएं नहीं दिखती ,न ही दीखते हैं वे अबोध बच्चे जिनके सर से पिता का साया उठ गया !आतंक बढ़ता गया और बढ़ते गए लाशों के अम्बार !देश के कई शहरों पर कहर बरपाने के साथ -साथ यहाँ के अलगाववादी और नक्सली गुटों को मौत का सामान भी मुहैया करा रहे हैं !इसकी जड़ काटने से पूर्वोत्तर के अलगाववाद से लेकर लाल कारीडोर के नक्सलवाद से भी निपटना आसान होगा !

अफगानिस्तान

आतंकी अमेरिका की अगुवाई वाली संयुक्त सेना पर आत्मघाती और गुरिल्ला हमले !विदेशी नागरिकों का अपहरण !काबुल को छोड़कर देश का कोई भी भाग आतंकवाद से अछूता नहीं !

चेचेन्या

आतंकी यहाँ विद्रोही गुटों को आपस में लड़ाते रहते हैं साथ ही रूस की राजधानी मास्को को निशाना बनाते रहते हैं !एक स्कूल में बच्चों का अपहरण करने के बाद येहाँ के आतंकी चर्चा में आये थे !

इराक

आतंकवाद को सींचने में पाकिस्तान की भरपूर मदद लेकिन अब खुद आतंक साए में ! राजधानी बग़दाद ,व्यवसायिक शहर बसरा और किरकुक में अमेरिकी व अन्य देशों की सेना की टूकरियों और चेकपोस्टों पर कार बम से आत्मघाती हमलों का दौर जारी !आतंकी सेना पर छुप कर रहे हमले !विदेशी नागरिकों को बंधक बनाने और उन्हें मार डालने की घटनाएँ होती रहती हैं !

इजरायल

इस्लामी आतंकवाद से प्रभावित देशों में प्रमुख !अक्सर वहाँ से आत्मघाती हमलो की खबरें आती रहती हैं !हमास और हिजबुल्ला जैसे आतंकी संगठन बरसों से सक्रीय !लेकिन यहाँ आतंकियों के खिलाफ कारवाई भी उसी तेजी से होती है !इसलिए उनके खिलाफ जंग में कामयाबी भी मिलती रहती है !

लेबनान

आतंकवाद को मदद करने वाले देशों में शुमार ,लेकिन खुद भी प्रभावित !राजधानी बेरुत भी सुरक्षित नहीं !

नाइजीरिया

अब तक कोई आतंकी हमला नहीं ,लेकिन अलकायदा के आतंकियों की गिरफ्तारी की घटनाएं हो चुकी हैं !पश्चिमी देशों से कई बार एसी चेतावनी जारी हुई है की कभी भी विदेशी दूतावासों पर हमलें हो सकते हैं !

सूडान

इस अफ्रीकी देश पर कई बार आतंकी हमले हो चुके हैं !आतंक का निशाना बने हैं विदेशी दूतावास !इसके अलावा अलकायदा की शह पाकर विद्रोही गुटों में संघर्ष होना भी आम बात है !

सोमालिया

पिछले दिनों में घटित कई घटनाओं से अलकायदा के पैर पसारने के संकेत यहाँ भी मिलें हैं !

समझें आतंक के प्रकृति ,प्रवृति और मनोवृति को

सही अर्थों में आतंक के प्रकृति ,प्रवृति और मनोवृति को समझे बिना जो लोग यह कहते हैं की आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता उन्हें शायद सच्चाई का ज्ञान नहीं है और मुगालते में जी रहें होते हैं !वास्तव में अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन और अयमान अल जवाहिरी जिस मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक सैयद कुतब उसके भाई मोहम्मद कुतब और फिलिस्तीनी इस्लामी चिन्तक अब्दुल्ला अज्जाम से प्रेरणा लेते हैं उनके जिहाद की व्याख्या पूरी तरह इस्लाम के शुद्धिकरण और शरियत आधारित शासन के लिए युद्धात्मक जेहाद की आज्ञा देता है और इसके लिए उन मुसलमानों के साथ भी जेहाद जायज है जो विशुद्ध इस्लाम के आदेश का पालन नहीं करते !इसी प्रयास का परिणाम है की पाकिस्तान के उत्तर -पश्चिमी सीमा प्रान्त में अपना नियंत्रण स्थापित करने के बाद अलकायदा और तालिबान ने पाकिस्तान की सरकार के विरुद्ध भी जेहाद तीव्र कर दिया !

अलकायदा ने अपने एजेंडे के आधार पर जो योजना बनाई है उसके आधार पर वह सफल हो रहा है !अलकायदा न केवल जेहाद के नाम पर विश्व भर के एक बड़े वर्ग के मुसलामानों को लड़ने के लिए प्रेरित कर सका है वरण सूचना क्रांति का भरपूर उपयोग कर विश्व स्टार पर मुस्लिम की एक काल्पनिक अवधारणा का सृजन कर उसे भरपूर प्रचारित भी किया है !और इस प्रचार के चलते अलकायदा ने विश्व भर के मुसलमान बुद्धिजीवियों ,तथाकथित विचारकों और युवा मुसलामानों के मन में एक वैश्विक चिंतन का बीजारोपण किया है जो स्थानीय समस्याओं को वैश्विक सन्दर्भ से जोड़कर मुस्लिम उत्पीडन की अवधारणा का समर्थन करता है !

समस्त विश्व में जेहाद केआधार पर खिलाफत साम्राज्य का स्वप्न देख रहे अलकायदा के योजनाओं के बारे में कभी समग्र स्टार पर चिंतन नहीं किया गया !

इंडिया बनाम भारत


बढ़ रहा शहरीकरण
गावों में है बेकारीकरण
आधुनिकता के नाम पर संस्कृति का पतन
गरीबी के कारण नंगा है बदन
सब कुछ बाजार
हम सब परिवार
कुत्ते से सावधान
अतिथि देवो भवःयही स्वाभिमान
अन्न है पर भूख नहीं
भूखे हैं पर अन्न नहीं
जो कमाएगा वही खायेगा
एक कमाएंगे लेकिन मिलजुलकर खायेंगे
नंगेपन की कमाई
कमाई न के कारण नंगापन
चाँद छूने में घमंड पर माँ -बाप के पैर छूने में होता है शरम
माँ बाप ही भगवान् यही मेरा धरम
स्त्री -भोग्या
स्त्री -पूज्या
एक दुसरे से आगे बढ़ने की होड़
समरस सुखी जीवन हर ओर
अनैतिक यौन सम्बन्ध
नैतिक दाम्पत्य जीवन
सर्वोपरि -स्त्री भक्ति
सर्वोपरि - मातृशक्ति
देश के प्रति गद्दारी में नहीं शरम
देश हित में जीवन का सर्वस्व समर्पण
दिनभर आराम फिर भी मालामाल
दिन -रात परेशान फिर भी कंगाल
अठारह कमरे तीन जन
अठारह जन खुला गगन
यौन शिक्षा का चित्र
शहीदों का चरित्र
नारी -मस्त कैलेण्डर
नारी -अनुपम सुन्दर
असत्य के राह पर चलने वालों की है खुशहाली
सत्य की राह पर चलने वालों की बदहाली
देख दृश्य गूंजे तेरी ठहाके
पीड़ित -शोषित को देख मन मेरा रोये -रोये
हम उस देश के वासी हैं जहाँ शिल्पा शेट्ठी रहती है
हम उस देश के वासी हैं जहां गंगा बहती है
पत्नी -एक जनम में सात का हाथ
पत्नी - सात जनम तक एक का साथ
माँ -बाप को साथ रखते हैं
माँ -बाप के साथ रहते हैं
चकाचौंध हरदम
शांत -स्वच्छ जीवन
बेटी को कैटरीना कैफ बनाने में मस्त
बेटी की शादी की चिंता से पिता की हालत है पस्त
अंग्रेज का औलाद बनने का घमंड
संस्कृति का करते संरक्षण
अस्त -व्यस्त जीवन
परिश्रम करते मस्त रहते हरदम
बिस्तर है पर नींद नहीं
टूटी खाट पर चैन की नींद
एक बदन पर दस कपडे
एक बदन पर फटे -चित्तरे
फास्ट -फ़ूड का प्रचलन
थाली में पडा है सूखा अन्न
इतनी तरक्की तो इंडिया ने कर ही ली है ...
अब भूख ,भय ,भ्रष्टाचार ,गरीबी को मिटाने की बात नहीं करता
अब बजता है ...
तोहर लहगा उठा देब रिमोट से ...................................!!!!

शनिवार, 16 जनवरी 2010

कुछ बेधड़क बातें अपने मन की


लार्ड मैकाले ने ०२ फरवरी १८३५ को ब्रिटिश संसद में कहा था --

मैंने भारत में जमकर भ्रमण किया और इस दौरान एक भी आदमी एसा नहीं मिला जो जो भिखारी या चोर हो !वहाँ के लोगों का नैतिक बल और कार्यक्षमता इतनी जबरदस्त है की मुझे नहीं लगता है की हम उनकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को नष्ट -भ्रष्ट कर सकेंगे ! हम उनकी पुराणी शिक्षा व्यवस्था को समाप्त कर नयी इंग्लिश व्यवस्था लागू करें ,जो यह साबित करें की हम उनसे महानतम है !इससे वे अपना स्वाभिमान और सभ्यता खो बैठेंगे !तब हम उस देश को पूरी तरह गुलाम बना सकेंगे !

यह वही मैकाले थे जिन्होनें १८३५ में नयी शिक्षा व्यवस्था लागू की !

६२ साल बाद भी आज अंग्रेज हुक्मरानों की तरह नहीं याचक की तरह आता है !कोई फिल्मकार इस अद्भुत दास्तान को क्यों नहीं फिल्माता ???? हमारी गरीबी को ही क्यों हर बार बेची जाती है !!चन्द चांदी के सिक्कों की खातिर बिकने वाले निर्माता और अभिनेता क्या इस विषय पर भी फिल्म बनायेंगे ?यह सवाल हमारे मन में इस समय तो मथ ही रहा है !

यह धरती है बलिदान की



मातृभू की रक्षा के हित ,
चिन्ता न कर अपने प्राण की !
नमन कर लो इस माटी को ,
यह धरती है बलिदान की !!

आज पड़ोसी छदम भेष से ,
चाल चले शैतान की !
गिरगिट जैसा रंग बदलता ,
धत्ता बता ईमान की !
जैसे को तैसा ही उत्तर ,
दे दो इस प्रतिदान की !
वीर सपूतों पुनः जागो ,
यह धरती है बलिदान की !!

कर्म भूमि है ,धर्म भूमि है ,
यह जन्म भूमि भगवान् की ,
राणा ,शिवा ,हकीकत जैसे ,
वीरों के स्वाभिमान की !
उन वीरों को कोटि नमन है ,
जय हो उनकी शान की ,
प्राणों से भी प्यारी हमको
यह धरती है बलिदान की !!

अपना आपा भूल गए,
झेल सारे शूल गए !
कथा अदभुत है,
हर देशभक्त महान की
यह धरती है बलिदान की !!


इतिहासों में अंकित गाथा ,
भारत देश महान की !
वीर शिवा ,राणा सांगा के
पौरुष के अभिमान की !

सती पदमिनी के जौहर की ,
वीरों के आह्वान की !
शीश झुका कर नमन करो ,
यह धरती है बलिदान की !!

गुरुवार, 14 जनवरी 2010

दीवारों में पड़ते दरार

हकीकत यही है जब दरारें परती है तब दीवार दरकती है !पहले दीवारों के बीच रहते थे अब हमारे बीच दीवार आ गए !पता तो एक रहता है पर एक दूसरे का पता न रहता है !
जी हाँ ,विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में भले ही तलाक के मामले कम हो ,मगर राजधानी दिल्ली में लगातार इजाफा हो रहा है !काम का बोझ ,आफिस की चिंता ,बॉस का प्रेशर ,बच्चों की पढाई ,घर के खर्चे ऐसे अनेक समस्याओं के तले दबा जा रहा है दिल्ली वालों का जीवन !माँ -बाप के सपने ,पत्नी की चाहत ,बच्चों के अधूरे अरमानों के लिए ही वक्त नहीं है राजधानी वासियों के पास !
इसके लिए एकल परिवार प्रमुख रूप से जिम्मेदार है !सर्वेक्षण एजेंसी "सपना "के अनुसार वर्ष २००९ में दिल्ली में लगभग ५४ हजार शादियाँ हुईं !परन्तु ०१ वर्ष के अन्दर ही १२ हजार तलाक के मामले दाखिल हो चुके हैं !सात जन्मों का साथ निभाने की कसमें पल भर में ही बिखरने को तैयार दीखते हैं !बढ़ते मामले पर कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त की थी ,वह जायज दिखती है !
"सपना "के अनुसार टूटते संबंधों के पीछे एक दूसरे के प्रति अविश्वास और अति महात्वाकांक्षा सबसे बड़ा कारण है !इसके अलावा शादी से पूर्व के संबंधों को शक की दृष्टि से देखना ,अधिकाधिक पैसों ,सुविधाओं की चाहत तथा पश्चिम की अंधी नक़ल के पीछे भागना आदि एसी अनेक वजह है जिनके कारण संबंधों में दरार आ रही है !
आजकल तलाक के मामले में कानूनी पहलुओं से हट कर मध्यस्थता केंद्र तलाक की मांग करने वाले दम्पति का आपसी समझौता कराने का प्रयास करते हैं !इसके जरिये तलाक मांगने वाले दम्पति को ज्यादा से ज्यादा साथ रहने की सलाह देते हैं !उनको एक साथ बाहर घूमने ,यहाँ तक की फ़िल्में देखने का भी सलाह देते हैं !कई मामलों में भी यह भी देखा जा रहा है की न्यायिक अधिकारी अपनी जेब से फ़िल्में दिखने का खर्चा भी उठाते हैं !इन वर्षों में अदालत ने काफी तेजी से तलाक के मामले निपटाए भी हैं !

बुधवार, 13 जनवरी 2010

अनाथों के हम हैं नाथ

दोपहर के ०१:०० बजे हैं !भोजनावकाश के लिए घंटियाँ टनटनाती है !स्कूलों से निकल सैकड़ों बच्चे हाथ -मुंह धो, चप्पल -जूते उतार पंक्ति में बैठ जाते हैं !उन्हीं में से कुछ बच्चे भोजन परोसते हैं !एक छोटी सी सीटी का संकेत और भोजन प्रारंभ से पूर्व मन्त्र गूंजता है -" ॐ सहनाववतु सहनौ भुनक्तु ,सहवीर्यं करवावहे .........." !
शांतिपूर्ण और अनुशासन के अनूठे समागम के बीच भोजन कर रहे ये सारे एसे बच्चे हैं जिनके परिवार में उनका कोई सहारा नहीं है या उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है की वे पढाई कर सके !पूर्वात्तर भारत के ऐसे ही १९५ बच्चों का सहारा है जनसेवा न्यास द्वारा दिल्ली मेरठ रोड पर संचालित " माधव कुञ्ज " !
कुञ्ज के प्रकल्प प्रमुख अनिल जी २० वर्ष पहले बेसहारा बच्चों की पीड़ा से इतने दुखी हुए की उन्होंने तय किया की जीवन में बच्चे तो नहीं पैदा करूंगा लेकिन एसे अनाथ बच्चों का नाथ जरूर बनूँगा !और इस संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय किया !
समाज के कुछ लोगों से सहयोग प्राप्त कर वर्ष २००३ में प्रारंभ हुए माधव कुञ्ज ने मात्र छ : वर्षों में ही लम्बी छलांग लगाई है !बिना कोई सरकारी सहयोग के संचालित माधव कुञ्ज के पास न केवल अपना जमीन तथा करोड़ों का भवन है ,वरण कुञ्ज के अन्दर समृद्ध गौशाला ,आरोग्य केंद्र ,भव्य विद्यालय ,मंदिर तथा २०० छात्रों के रहने लायक छात्रावास भी है !

और सबसे बड़ी बात है की इन सारे प्रकल्पों को ये सारे बच्चे ही मिलकर सँभालते और सवारते है !वे न केवल शिक्षा ग्रहण करते हैं बल्कि स्वरोजगार और स्वाबलंबन के अनूठे संस्कार भी यहीं से ग्रहण कर अपने पैरों पर खडा होने का भरसक प्रयत्न भी कर रहे हैं !
माधव कुञ्ज न केवल बेसहारा बच्चों का सहारा बना है वरण निःशुल्क इलाज के कारण दूर दराज के गरीब लोगों के आशा की किरण बनकर खडा है !और इन सारे प्रकल्पों के बुनियाद के पीछें हैं श्री अनिल जी !यह पूछने पर की इन बच्चों के तो आप ही सहारा हैं ?नाम ,पद ,प्रशिद्धि से मीलों दूर श्री अनिल जी कहतें हैं -"मैं तो भारत माता के पुत्र के नाते अपना कर्तव्य समझकर यह कर रहा हूँ !इसमें सहारे की कौन सी बात है !मैं इन बच्चों पर कोई उपकार थोड़े ही कर रहा हूँ !यह तो मेरा सौभाग्य है की मुझे इन बच्चों को संवारने का सुअवसर प्राप्त हो रहा है ! "
जब तक भारत भूमि पर माधव कुञ्ज के पीछे लगे अनाम हितचिन्तक और अनिल जी जैसे समाज चिन्तक है कोई भी बच्चे बेसहारा कैसे हो सकते हैं !अरुणाचल के केशव से यह पूछने पर की आपके परिवार में कौन -कौन हैं ?केशव निःसंकोच कहते हैं -अपने अनिल जी हैं न !

जिगर मा बड़ी आग है

धूम्रपान क़ानून लागू होने के बाद लोग सार्वजनिक स्थलों पर नहीं कर सकेंगे धूम्रपान ! भारत सरकार का था यह दावा !परन्तु लोगों का फिलहाल तो दिखता नहीं कुछ ऐसा इरादा !तभी तो वे प्रतिबन्ध के वाबजूद सिगरेट के धुएं के साथ -साथ क़ानून की भी धज्जियां उड़ा रहे हैं !और यह सब खुलेआम हो रहा है देश की धड़कन और भारत की राजधानी दिल्ली में !दिल्ली का ही है जब यह चाल -ढाल, तो बाकी जगहों का क्या होगा हाल !इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है !
कशों के लोग हो चुके हैं इतने आदी,
की छोड़ने को नहीं है राजी !
चाहे हो जाए उनके फेफड़ों की बर्बादी !
डिब्बे पर स्पष्ट रूप से यह लिखा होने के वाबजूद की सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ,लोगों को इसका कोई फ़िक्र नहीं !
और जिन कन्धों पर इस क़ानून को लागू करने की है जिम्मेवारी,
वही अगर नहीं निभा रहे हैं जिम्मेदारी ,
तो लोग क्या समझेंगे अपनी जिम्मेवारी ?

बुधवार, 6 जनवरी 2010

रामकाज करिबे बिना मोहि कहाँ विश्राम

बीसवीं शताब्दी ने
विभाजन का बिष पिलाया
तो स्वतन्त्रता का सूरज
भी दिखलाया
भव्य भारत
अभिनव भारत का
अमृतपान करवाया
स्वदेशाभिमान जगाया
सुसंगठित राष्ट्रशक्ति
का संकल्प लहराया
इक्कीश्वी शताब्दी ने
नवल हर्ष नव उत्कर्ष
की कमलिनियां विकसाई
नव आशा -उत्साह की
नयी उमंगें भर लाई
यह घड़ी राष्ट्र के जीवन में
दिव्य सन्देश लेकर आयी
इसलिए है इश कृपा से
सबको अधिकाधिक
इस अवसर पर
नैतिकता- समरसता पर
पावन जीवन मूल्यों पर
श्रद्धा अस्मिता पर
सांस्कृतिक मान्यता पर
राष्ट्रीय अखंडता पर
गंगा गौमाता पर
सेतु की आस्था पर
भारतीयता पर
घोर घाटा छाई है
अनाचार भ्रष्टाचार से
हिंसा और आतंक से
जातिवाद स्वार्थ से
दानव -भौतिकतावाद से
छिड़ गई है ..........
घनघोर लड़ाई
अनार्यत्व से आर्यत्व का
रावन से राम का
दुर्योधन से अर्जुन का
कंस से कृष्ण का
दुर्घर्ष संघर्ष है
युद्ध्मात्र नहीं है यह
पावन रामकाज है !
राम काज क्षण भंगु शरीरा !
समर मरनु पुनि सुरसरी तीरे !
रावन को रथी देख
नहीं घबराएंगे
विजयी रथ पास है
धर्मध्वज कपिध्वज है
शील के पताके है
परहित के घोड़े है
शौर्य -धैर्य चक्के हैं
गांडीव सुदर्शन है
पृथ्वी आकाश है
अग्नि और त्रिशूल है
चिर विजय मन्त्र है
रामकाज करिबे बिना
मोहि कहाँ विश्राम ?








न्याय


धृतराष्ट्र तो नेत्रहीन थे ,परन्तु गांधारी ने आँखों पर पट्टी बाँध रक्खी थी !क़ानून की देवी भी गांधारी के सामान ही है !गांधारी चाहती तो देख सकती थी ,परन्तु उसने एसा नहीं किया !भीश्मपितामः,गुरु द्रोणाचार्य ,गुरु कृपाचार्य जैसे मनस्वी और तपस्वी महापुरुष सिंहासन से बंध जाए तो इन परिस्थितियों में दुर्योधन और दुशासन ही पैदा होने थे !जब -जब न्याय ने अपनी आँखों पर पट्टी बांधी है और समर्थ पुरुषों ने कर्तव्य न निभाकर मौन धारण किया है ,तब -तब महाभारत ही हुआ है !