मंगलवार, 19 जनवरी 2010

दास्तान अगस्त क्रांति में अव्वल बिहार की


शहीदों के लहू की दीप्ति ने दिनमान रखा है ,
शहीदों ने समूचे राष्ट्र का सम्मान रखा है !
किसी भी तरह उनका ऋण चुकाया नहीं जा सकता ,
जिन्होनें जान दे ज़िंदा ये हिन्दुस्तान रखा है !!

आजादी के जंगे मैदान में अव्वल रहा बिहार के हुतात्माओं ने दी थी गोरों को जबरदस्त टक्कर !भले सीने पर गोली खाई ,अमानवीय अत्याचार सहे पर अंग्रेजों के आगे न रुके न झुके !गाँधी के आह्वान पर आजादी की लड़ाई में लोकतंत्र की जननी वैशाली के दर्जनों नौजवान जंग -ए-आजादी में कूद पड़े थे !बैकुंठ शुक्ल ने अपने प्राणों की आहुति दी तो योगेन्द्र शुक्ल ,पंडित जयनंदन झा ,दीपनारायण सिंह ,बसावन सिंह ,रामेश्वर प्रसाद सिंह ,अक्षयवट राय ,वीरचंद पटेल एवं सुनीति देवी ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया !सासाराम में सरकारी भवनों पर ११ अगस्त १९४२ को तिरंगा फहराते महंगू राम एवं जगरनाथ राम को गोली मार दी गयी !कुपा में जयराम सिंह ने एक फौजी को धराशायी कर रायफल छीनने की कोशिश की तो सनिकों ने उन्हें गोली मार दी !गांधी की कर्मभूमि चंपारण में शायद ही कोई इलाका हो ,जो वतनपरस्तों के त्याग और बलिदान की गवाही न देता हो !१० से २४ अगस्त के बीच अंग्रेजों की गोली से द्वारिका कहार (श्रीपुर ), लखन दुसाध (बसंतपुर ),गणेश राय (रामगढ़वा), बुधेल राम (मेहसी ), रामावतार साह (मेहसी ),शेख मो०हनीफ (चैनपुर ),यदु रावत (आदापुर ), हरी ठाकुर (चमही), जगदेश राय (श्रीपुर ),हरिहर हजाम व फौजदार अहीर शहीद हो गए, पर डरे नहीं गोरों की गोली से !समस्तीपुर में दसवीं के छात्र हरिवंश तरूण ,राधे जी ,शिवसागर ,रामानंद ,तपेश्वर ने अंग्रेजों से टक्कर ली !इस आन्दोलन में राम इकबाल सिंह के उत्पात से बौखलाए गोरों ने उनकी टांगे तोड़ दी !नित्यानंद सिंह खगड़िया के समीप रेल पटरी उखारते शहीद हुए !नागपुर जेल में अंग्रेजों के अमानवीय अत्याचार के कारण पालीगंज के १८ वर्षीय हरदेव के मौत की खबर पाकर तस्वीर देख जीवन गुजार दी उनकी बेवा ने ! सीवान में तीन किशोरों झगरू साहू ,बच्चन प्रसाद और छठू गिरी की शहादत से धधका था आन्दोलन !सोनपुर में गोली की दर्द पर भारी पडी भारत माता की जय !सत्यनारायण चटर्जी ने पूरी जवानी जेल में गुजार दी !सारणके बनियापुर में क्रांति यज्ञं में छ : वर्षीय पुत्र की आहुति दी थी शिवरतन ने !बक्सर में पुलिस की गोली से कपिलमुनि कमकर,गोपाल कमकर ,रामदास बढई व रामदास सोनार शहीद हो गए !अब्दुल्ला भठियारा के घर में घुसकर अंग्रेजों ने उनके बहन की अस्मत लूटी और दूधमुहें बच्चे को मार डाला !भरे बाजार में स्वराजी यमुना प्रसाद की छाती पर चढ़कर ने गोली मार दी !
अंत में इन शहीदों की शहादत को चन्द पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ .............
आओं झुककर सलाम करें उन्हें ,
जिनकी जिन्दगी में ये मुकाम आता है !
कितने खुशनसीब हैं वे लोग
जिनका लहू इस वतन के काम आता है !!
मिट जाते जो मातृभूमि पर ,बनते वो इतिहास है !मस्तक धूल चढाने उनकी झुक जाते आकाश हैं !!

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