गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

पारस नही दीप बनूँ मैं


पारस एक लोहे को सोना तो बना सकता है परन्तु

लाखों प्रयत्नों के बाद भी पारस ,पारस नही बना सकता !किन्तु

एक जलता हुआ दीपक हजारों बुझे हुए दीपक को जलाकर जग को प्रकाशित कर सकता है,

आलोकित कर सकता है !

इसीलिए मेरी इच्छा है की पारस नहीं दीप बनूँ मैं !

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