सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

सीखें एक दीप से

एक दीप रात भर अंधेरों से जूझता है ,
लड़ता है -अपने अस्तित्व के लिए ,

अपनी पहचान के लिए

पर कहाँ शिकायत करता है -

आँधियों से ,थपेडों से ,अंधियारों से

जो प्रयत्न करते है कि

दीप का अस्तित्व न रहे !

वह दीप है

बस जलता है
स्वयं के लिए
सब के लिए !

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