गुरुवार, 5 नवंबर 2009

झरोखा झारखण्ड चुनाव की

महाराष्ट्र ,हरियाणा और अरुणाचल में मिली बढ़त को कांग्रेस ने भुनाने का सही समय समझा !और इस इशारे को समझ चुनाव आयोग ने झारखण्ड में रणभेरी का बिगुल बजा दिया ! कांग्रेस शायद यह सोचकर खुश हो रही है की तीनो राज्यों में मिले बढ़त का जनता पर असर होगा और बरसों से झारखण्ड में डूबे हाथ को किनारा मिल जाए ! इस बढ़त को कायम रखने के लिए कांग्रेस कोई भी कोर -कसर नही छोर रही है !तभी तो बी जे पी से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का साथ लेने से भी कांग्रेस को कोई परहेज नही !कल तक कांग्रेस के लिए घोर सांप्रदायिक रहे बाबूलाल आज उसके दोस्त हो गए हैं !हालाँकि दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा अभी अधर में है ,परन्तु कांग्रेस को जल्द ही यह मसला सुलझ जाने की उम्मीद है !बाबूलाल मरांडी की झारखण्ड विकास पार्टी कुल ८१ सीटों में से ३१ सेटों पर चुनाव लरना चाहती है ,जबकि कांग्रेस उसे अधिकतम २०-२२ सीटें ही देना चाहती है !हालाँकि कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व सभी ८१ सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है !परन्तु केन्द्रीय नेतृत्व महाराष्ट्र में मनसे के तरह ही झारखण्ड में बाबूलाल मरांडी को आगे कर बी जे पी के वोट बैंक में सेंध लगाकर अधिक से अधिक बी जे पी का नुकसान करना चाहती है !
इस बार शिबू सोरेन की झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का कांग्रेस से गठबंधन नही होपाने की स्थिति में अकेले असहाय नजर आ रही है !और लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल वामपंथी दलों के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे के बैनर तले चुनाव लड़ने का आधार बना रही है !
इधर तीनो राज्यों मिली हार से सबक लेकर राजग एकजुट होने की कागर पर है !हालाँकि जेडीयू की और से शुरुआती दौर में परेशानी थी परन्तु ताजा जानकारी के अनुसार दोनों दलों के बीच समझोता हो गया है और इस समझोते के तहत जेडीयू १४ तथा बीजेपी ६७ सीटों पर चुनाव लडेगी !चूँकि जेडीयू ने समझोते से पहले ही १९ सीटों पर अपने उमीदवार घोषित दिए थे अतः उन्हें ०४ सीटों की उम्मीदवारी अब वापस लेनी होगी !
अब देखना यह है की तीनो राज्यों में मिली बढ़त से झारखण्ड में कांग्रेस का कोई कल्याण हो पाता है या एकजुट राजग बर्षों से काबिज कब्जे को बरक़रार रख पाती है या फ़िर पिछले चुनाव की तरह सत्ता की चाभी निर्दलियों के हाथों में जाती है या लालू और शोरेन कुछ करिश्मा दिखा पाते हैं !

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