न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के छ : साल पूरे हो चुके है !इस हमले के पश्चात अमेरिका ने आतंकवाद का समूल नाश करने का लक्ष्य बनाया था !यद्यपि अपने इस लक्ष्य में वह पूरी तरह सफल नहीं हो पाया है ,लेकिन पिछले छ ; वर्षों में अमेरिका में एक भी बड़ी आतंकवादी घटना नहीं घटी !यह इस बात का प्रमाण है की अपनी आतंरिक सुरक्षा में उन्होंने पूर्ण सफलता कर ली है !
इसे संभव बनाने में वहाँ की जनता ,प्रशासन ,सुरक्षा एजेंसियों ,नेताओं ,नौकरशाहों ,न्याय व्यवस्था तथा सैनिक बलों ने एकजुट होकर एक निति के तहत काम किया है !आज अमेरिका आतंरिक और बाह्य सुरक्षा की नजर से बेहद सुरक्षित देश है !
इसके विपरीत संसद पर हमले से हैदराबाद विस्फोट तक भारत में छोटी और बड़ी आतंकवादी घटनाओं में बड़ी तादाद में निर्दोष लोग तथा सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं और आतंकवाद बढ़ता ही जा रहा है !कुछ समय पहले तक पाकिस्तान पोषित आतंकवाद केवल कश्मीर तक ही सीमित था ,लेकिन अब यह धीरे -धीरे पूरे भारत में फ़ैल गया है !आज भारत के लोग आतंक के साए में जी रहे है !
हमारे नेताओं ने केवल बातों से लड़ाई की है और मीडिया को बयानबाजी से भरमाया है ,क्योंकि इस समस्या से जूझने के लिए अभी तक भारत के पास कोई ठोस नीति ही नहीं है !भारत में समय -समय पर हो रही आतंकवादी घटनाओं से निबटने में असफलता के कारण दुनिया ने भारत को "सोफ्ट स्टेट की " संज्ञा दे दी है !बिना कठोर क़ानून के आतंकवाद को रोकना संभव नहीं है !आज तक कोई भी ठोस क़ानून नहीं बना ,जिससे सेना को उग्रवाद मिटने में मदद मिल सके !
९/११ की घटना के बाद अमेरिका ,कनाडा ,ब्रिटेन तथा आस्ट्रेलिया ने उग्रवाद विरोधी सख्त क़ानून बनाए ,और उस पर अमल किया गया !हमने भी इन चार देशों की तरह पोटा बनाया !पोटा को संप्रग सरकार ने हटा तो दिया लिकिन उसके बदले लचीले क़ानून बनाकर मात्र अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली ! लगता है प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री को कठिन रास्ता पसंद नहीं !
राष्ट्र के आंतरिक हिस्सों में तोड़ -फोड़ बाह्य गतिविधियों से भी अधिक खतरनाक है !इससे समाज में अलगाव की स्थिति पैदा होती है !इस पर तुरंत रोक लगाने की कोशिश होनी चाहिए !इसके लिए घरेलू शासन को चुस्त करना होगा !आतंवाद के प्रति प्रशासन का ढीला रवैया हमारी असफलता का बड़ा कारण है !प्रशासनिक कर्मियों की कमजोरियों तथा राजनितिक दवाब की वजह से सेना के जवानों का मनोबल टूट रहा है !
हमारे पास कोई कानून नहीं है ,जिसके तहत हम उग्रवादियों को छुपकर मदद कर रहे लोगों के विरुद्ध कारवाई कर सके !कुछ दिन पहले सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों तथा पुलिस की "टास्क- फ़ोर्स" को कर्मठ बनाने के लिए ३५ हजार करोड़ रु खर्च करने का एलान किया , लेकिन इन सबसे कुछ नतीजा निकलने वाला नहीं ,जब तक फैलते उग्रवाद को बढ़ावा देने में अधिकारियों को जबाबदेह नहीं बनाया जाता!
कश्मीर में पिछले १८ वर्षों में पकडे गए हजारों आतंकियों में कितनो को सजा मिल पाई है ?याद रहे उग्रवादियों के विरुद्ध एक्शन में सुरक्षाकर्मियों की जाने जाती हैं और काफी मुश्किलों के बाद उग्रवादी पकडे जाते हैं ! यदि सालों तक उन उग्रवादियों की देखभाल सरकार करती रहे और जल्दी सजा न मिले ,तो सैनिकों का मनोबल टूटेगा ही !
हमारे प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का दिल जीतने के लिए बड़े प्रयत्न किये ,परन्तु नतीजा सिफर ही रहा !पाकिस्तान उग्रवादियों की मदद हर तरह करता ही रहेगा !यही करण है की उग्रवादी १८ साल की जद्दोजहद के बाद भी और हजारों की संख्या में मारे जाने के वाबजूद न तो हारे हैं ,न थके हैं और न ही उनके हिमायतियों की कमी हुई है !हमें यह काम स्वयं करना होगा !
इस काम में पाकिस्तान से मदद की आशा करना हमारी बड़ी भूल है ! समय आ गया है की हमें उग्रवादियों के ट्रेनिंग ठिकानों को बर्बाद करने की कारवाई करनी चाहिए !विशेषतौर पर उन ठिकानों को जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है !पाकिस्तान को चेताते रहने और इससे आगे कुछ नहीं करने की नीति से आतंकवाद ख़त्म नहीं होगा !
किसी दुसरे देश से उम्मीद करना की वह हमारे इस काम में मदद करेगा ,बड़ी भूल होगी !अमेरिका के इशारों पर काम करने का नतीजा हम भुगत चुके हैं !हमें वही करना चाहिए जो हमारे हित में है !विश्व मंचों पर इस मामले को उठाकर हमने कुछ हासिल नहीं किया !
इस समय चन्द पंक्तिया याद आ रही है .......
इसे संभव बनाने में वहाँ की जनता ,प्रशासन ,सुरक्षा एजेंसियों ,नेताओं ,नौकरशाहों ,न्याय व्यवस्था तथा सैनिक बलों ने एकजुट होकर एक निति के तहत काम किया है !आज अमेरिका आतंरिक और बाह्य सुरक्षा की नजर से बेहद सुरक्षित देश है !
इसके विपरीत संसद पर हमले से हैदराबाद विस्फोट तक भारत में छोटी और बड़ी आतंकवादी घटनाओं में बड़ी तादाद में निर्दोष लोग तथा सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं और आतंकवाद बढ़ता ही जा रहा है !कुछ समय पहले तक पाकिस्तान पोषित आतंकवाद केवल कश्मीर तक ही सीमित था ,लेकिन अब यह धीरे -धीरे पूरे भारत में फ़ैल गया है !आज भारत के लोग आतंक के साए में जी रहे है !
हमारे नेताओं ने केवल बातों से लड़ाई की है और मीडिया को बयानबाजी से भरमाया है ,क्योंकि इस समस्या से जूझने के लिए अभी तक भारत के पास कोई ठोस नीति ही नहीं है !भारत में समय -समय पर हो रही आतंकवादी घटनाओं से निबटने में असफलता के कारण दुनिया ने भारत को "सोफ्ट स्टेट की " संज्ञा दे दी है !बिना कठोर क़ानून के आतंकवाद को रोकना संभव नहीं है !आज तक कोई भी ठोस क़ानून नहीं बना ,जिससे सेना को उग्रवाद मिटने में मदद मिल सके !
९/११ की घटना के बाद अमेरिका ,कनाडा ,ब्रिटेन तथा आस्ट्रेलिया ने उग्रवाद विरोधी सख्त क़ानून बनाए ,और उस पर अमल किया गया !हमने भी इन चार देशों की तरह पोटा बनाया !पोटा को संप्रग सरकार ने हटा तो दिया लिकिन उसके बदले लचीले क़ानून बनाकर मात्र अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली ! लगता है प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री को कठिन रास्ता पसंद नहीं !
राष्ट्र के आंतरिक हिस्सों में तोड़ -फोड़ बाह्य गतिविधियों से भी अधिक खतरनाक है !इससे समाज में अलगाव की स्थिति पैदा होती है !इस पर तुरंत रोक लगाने की कोशिश होनी चाहिए !इसके लिए घरेलू शासन को चुस्त करना होगा !आतंवाद के प्रति प्रशासन का ढीला रवैया हमारी असफलता का बड़ा कारण है !प्रशासनिक कर्मियों की कमजोरियों तथा राजनितिक दवाब की वजह से सेना के जवानों का मनोबल टूट रहा है !
हमारे पास कोई कानून नहीं है ,जिसके तहत हम उग्रवादियों को छुपकर मदद कर रहे लोगों के विरुद्ध कारवाई कर सके !कुछ दिन पहले सरकार ने सुरक्षा एजेंसियों तथा पुलिस की "टास्क- फ़ोर्स" को कर्मठ बनाने के लिए ३५ हजार करोड़ रु खर्च करने का एलान किया , लेकिन इन सबसे कुछ नतीजा निकलने वाला नहीं ,जब तक फैलते उग्रवाद को बढ़ावा देने में अधिकारियों को जबाबदेह नहीं बनाया जाता!
कश्मीर में पिछले १८ वर्षों में पकडे गए हजारों आतंकियों में कितनो को सजा मिल पाई है ?याद रहे उग्रवादियों के विरुद्ध एक्शन में सुरक्षाकर्मियों की जाने जाती हैं और काफी मुश्किलों के बाद उग्रवादी पकडे जाते हैं ! यदि सालों तक उन उग्रवादियों की देखभाल सरकार करती रहे और जल्दी सजा न मिले ,तो सैनिकों का मनोबल टूटेगा ही !
हमारे प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान का दिल जीतने के लिए बड़े प्रयत्न किये ,परन्तु नतीजा सिफर ही रहा !पाकिस्तान उग्रवादियों की मदद हर तरह करता ही रहेगा !यही करण है की उग्रवादी १८ साल की जद्दोजहद के बाद भी और हजारों की संख्या में मारे जाने के वाबजूद न तो हारे हैं ,न थके हैं और न ही उनके हिमायतियों की कमी हुई है !हमें यह काम स्वयं करना होगा !
इस काम में पाकिस्तान से मदद की आशा करना हमारी बड़ी भूल है ! समय आ गया है की हमें उग्रवादियों के ट्रेनिंग ठिकानों को बर्बाद करने की कारवाई करनी चाहिए !विशेषतौर पर उन ठिकानों को जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में है !पाकिस्तान को चेताते रहने और इससे आगे कुछ नहीं करने की नीति से आतंकवाद ख़त्म नहीं होगा !
किसी दुसरे देश से उम्मीद करना की वह हमारे इस काम में मदद करेगा ,बड़ी भूल होगी !अमेरिका के इशारों पर काम करने का नतीजा हम भुगत चुके हैं !हमें वही करना चाहिए जो हमारे हित में है !विश्व मंचों पर इस मामले को उठाकर हमने कुछ हासिल नहीं किया !
इस समय चन्द पंक्तिया याद आ रही है .......
क्या हुआ कुछ -कुछ लोग हिंसक हो गए ,
पड़ोसी अपने निरंकुश हो गए !
हुक्मरानों बात ये कडवी लगे तो माफ़ करना ,
वो हिंसक नहीं हुए हम नपुंसक हो गए !!
ठोस नीति का आभाव ,राजनैतिक भ्रष्टाचार ,लचर प्रशासनिक व्यवस्था ,पुलिस की नाकामी तथा सेना के गिरते मनोबल के कारण आतंकवाद बेकाबू होकर फैलता जा रहा है !केवल बयानों से आतंकवाद ख़त्म नहीं किया जा सकता !समय आ गया है की हमारे नेता धधकते पौरुष को जागृत करें और जनता के भीतर सुरक्षा विश्वास पैदा करें !
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