शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

यादवी दीवारों में दबती जनता




एक कहावत है -
राजा अगर राम हुआ तो सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ेगा ,और राजा अगर रावण हुआ तो सीता हरी जायेगी !
राजा अगर पांडव हुआ तो द्रोपदी जुए में हारी जायेगी ,और राजा अगर कौरव हुआ तो उसका चीर हरण होगा !
राजा अगर हिन्दू हुआ तो जनता जलाई जायेगी ,और राजा अगर मुसलमान हुआ तो जनता दफनाई जायेगी!

पिसती आखिर जनता ही है !

अगस्त १८,२००८ !कोसी वासियों के लिए काला अध्याय !कोसी मैया के प्रकोप ने यूँ कहर ढाया की लोगों में हाहाकार मच गया !अचानक आयी भयंकर बाढ़ ने न केवल लोगों के घर उजारे वरण हजारों मांगों की सिन्दूरं पोंछ गयी !अनेक माओं की गोद सूनी हुई तो लाखों पशु काल के गाल में समा गए !लोगों के पास बच गए तो केवल फटेहाल बदन और उअर खुला गगन !लोग दाने -दाने को मोहताज हो गए !आवागमन के सारे साधन तहस -नहस हो गए !
कुछ दिनों तक तो बाढ़ राहत के सामानों से पेट भरा परन्तु लोगों के सामने समस्या थी की वे जाये कहाँ ?क्योंकि अब उनके पास कुछ भी नहीं बच गया था !न रहने का घर और न खाने को अन्न !परन्तु इससे अधिक तो नेताओं की कारगुजारियों ने उन्हें रुलाया !पुनर्वास के नाम पर केंद्र से करोड़ों झटके परन्तु सत्ता के ये घिनोने दलाल अपनों में ही उसे गटक गए ! लेकन स्थानीय सांसद शरद यादव द्वारा किये प्रयासों का वर्णन करते अघाते थकते नहीं उनके जिलाध्यक्ष रामानंद यादव उर्फ़ "झल्लू बाबू" !
श्री यादव कहते हैं -" हमारी जदयू सरकार ने हरसंभव लोंगों को जीवन -यापन के लायक सामान मुहैया कराई है तथा फसलो के नुकसान का मुआवजा भी दिया जा रहा है ! "परन्तु असलियत है की ५० हजार प्रति एकड़ लागत की जगह किसानों को २०० से ५०० रु प्रति एकड़ ही मुआवजा मिल रहा है !वह भी दफ्तरों के लाखों चक्कर काटने के बाद !
दूसरी ओर पूर्व सांसद रहे लालू यादव के नजदीकी तथा पूर्व राजद प्रत्याशी रवीन्द्र चरण लालू गुणगान करते थकते नहीं !रवीन्द्र चरण कहतें हैं - "लालू यादव के दवाब तथा प्रयासों के कारण ही केंद्र सरकार ने १२०० करोड़ की सहाता राशि तत्काल उपलब्द्ध कराई !तथा हमारे नेता ने उस समय रेल मंत्रालय की ओर से भी भरपूर सहायता की !पर राज्य सरकार ठीक से उसे खर्च ही नहीं कर पा रही है !"
सबके अपने -अपने दावे !लेकिन लोगों की दयनीय स्थिति इन दावों की हवा निकल देती है !लोगों की पहली जरूरत है की उनके पास रहने लायक घर तो हो !परन्तु अपने बलबूते घर बनाना इतना आसान नहीं! हालांकि इंदिरा आवास योजना के तहत कुछ लोगों को २५ -२५ हजार की सहायता राशि मिली है लेकिन बाढ़ से प्रभावित लाखों जनता के सामने यह संख्या बहुत छोटी है !केवल मधेपुरा में बढ़ से १४ लाख लोग प्रभावित हुए हैं !
कोसी के लोगों के जीविका का मुख्य आधार खेती है !परन्तु तबाह हो चुके लोगों के पास खेती लायक साधन नहीं !ऊपर से बढ़ती महगाई ने खाद बीजों के दामों में इतनी बढ़ोतरी कर दी है की किसानों के लिए बीज खरीदना ही मुश्किल हो रहा है !खाद पानी की जुगाड़ तो दूर की बात ! ऊपर से पेट्रोल और डीजल के बढे दामों ने उनके खेती पर गंभीर संकट खड़ा कर दिया है !किसान हतास -निराश है कि आखिर खेतों का पटवन कैसे हो ?और बिना पटवन के फसलें तो मारीं जायेंगी !
रुदन कर रहे लोग, उनके परिवार, बच्चे पर महगाई कब तरस खाकर अपना ग्राफ नीचे करती है यह तो केन्द्रीय सत्ता -प्रतिष्ठान ही शायद बेहतर बता सकती हैं!
मधेपुरा के लोगों का क्या कुसूर की उन पर टूटा एक और कोसी का कहर तो दूसरी और नेताओं ने उन्हें छाला !कभी पिछड़ों के हिमायती के नाम पर लालू यादव ,युवा शक्ति के नाम पर पप्पू यादव तो कभी विकास के नाम पर शरद यादव !पर यहाँ के लोगों के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया !हकीकत यही है की हमेशा इन यादवी दीवारों के नीचे जनता दबती ही गयी !और पिछड़ों के नाम पर ये यादव असुर नेता अपने परिवारों का पेट भरते रहे !कभी तिहार में बैठे पप्पू यादव, तो हमेशा दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से संचालित करते शरद यादव !लेकिन लोगों के जीवन में न कोई उत्थान न कोई परिवर्तन !हाँ पंजाब और हरियाणा के मजदूरी के बल पर अपने पापी पेट तो भर ही लेते हैं !क्या उनके लिए विकास के यही मायने हैं ?

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