पारस एक लोहे को सोना तो बना सकता है परन्तु
लाखों प्रयत्नों के बाद भी पारस ,पारस नही बना सकता !किन्तु
एक जलता हुआ दीपक हजारों बुझे हुए दीपक को जलाकर जग को प्रकाशित कर सकता है,
आलोकित कर सकता है !
इसीलिए मेरी इच्छा है की पारस नहीं दीप बनूँ मैं !
मुट्ठी बांधे सीना ताने लेंगे सबकी खबर !न काहू से डर ,न काहू से भय !!
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