आज मेरा मन परेशान सा लग रहा था .आचानक मन में प्रश्न उठा मैं कौन हूँ ?
कहाँ से आया हूँ? जाना कहाँ है ? आख़िर इस संसार का रहस्य क्या है ?
तभी अचानक मेरी नजर रसोई में रखी प्याज पर गयी और समाधान भी मिलता नजर आया .आप सोचेंगे प्याज से संसार के रहस्य का समाधान ?शायद वेद का दिमाग फ़िर गया है ।
परन्तु सचमुच यह संसार प्याज के समान है ! प्याज को जितना नजदीक से आप खोलेंगे उतने ही आंसू आयेंगे ,दूर से खोलने पर आपको आसूं नही आयेंगे .शायद ऐसा ही यह संसार भी है जितना आप अपना -पराया ,तेरा -मेरा ,मोह-माया में पड़ेंगे उतना ही आप परेशान रहेंगे! हमेशा जिन्दगी से शिकायतें रहेंगी ही।
इस संसार में रहते हुए भी अपना -पराया,तेरा -मेरा से दूर रहिये आपकी सारी चिंताएँ छूमंतर हो जायेंगी ।
और जिस प्रकार प्याज को खोलते रहने पर भी अंततःअन्दर कुछ मिलता नहीं, ऐसा ही यह संसार है !
जितना अन्दर आप घुसेंगे आख़िर आपके हाथ आएगा कुछ भी नही !
प्याज की तरह !