शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010

किसी के दबाये कब दबी है ...प्रतिभा


कली ने कहा -तुम खिलना छोड़ दो ,
न फूल बनो
और ना ही अपनी खुशबू से ,
सारे संसार को महकाओ ,
वह न मानी
खिली खूब खिली !
फूल बनकर रही
चारों ओर अपनी खुशबू से
संसार को महका दिया !
हिरन ने कहा -तुम दौड़ना छोड़ दो ,
अपनी कस्तूरी गंध को छिपा के रख दो ,
उसने भी न दौड़ना छोड़ा
न अपनी गंध को संजोकर रखा
आगे बढी,देखा एक छोटी सी नदी
बह रही थी ,
उसे रोकने का प्रयास किया
विफल हो गयी
देखती हूँ आगे बढ़कर ,उसने एक
विशाल सरिता का रूप
धारण कर लिया है ,
ओर अब तो वह तीव्र गति से बह रही है !
ऊपर मुख किया तो देखा कि
सूर्य को रोकने की ताकत
मुझमें नहीं
उसका प्रकाश
कम करने की हिम्मत
मुझमें नहीं .......
उसी प्रकार

एक प्रतिभावान व्यक्ति की
प्रतिभा छिप नहीं सकती
दबाई नहीं जा सकती ,
उसकी गति रोकी
नहीं जा सकती ,
उसकी तेजस्विता
कम नहीं की जा सकती
वह कहीं न कहीं दिखाई देती है
उसकी योग्यता दिखाई देती है !

पर ......उग आती हैं बेटियाँ


बोये जाते हैं बेटे
ओर उग आती हैं बेटियाँ
खाद पानी बेटों में
और लहलहाती हैं बेटियाँ
एवरेस्ट की ऊँचाइयों तक ठेले जाते हैं बेटे
ओर चढ़ जाती हैं बेटियाँ
रुलाते हैं बेटे
और रोती हैं बेटियाँ
कई तरह गिरते और गिराते हैं बेटे
और संभाल लेती हैं बेटियाँ
सुख के स्वप्न दिखाते हैं बेटे
जीवन का यथार्थ होती है बेटियाँ
जीवन तो बेटों का है
और .........मारी जाती हैं बेटियाँ .